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नागालैंड एवं अरुणाचल प्रदेश में अफस्पा की अवधि में वृद्धि

Thu 28 Mar, 2024

सन्दर्भ

  • हाल ही में केंद्र सरकार ने नागालैंड के आठ जिलों और पांच जिलों के 21 पुलिस स्टेशनों में एवं  अरुणाचल प्रदेश के तीन जिलों और एक अन्य जिले के तीन पुलिस स्टेशनों के अधिकार क्षेत्र में आने वाले क्षेत्रों में सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम, 1958 को बढ़ाते हुए उन्हें 6 महीने की अवधि के लिए 'अशांत क्षेत्र' घोषित किया है।
  • यह अधिसूचना 1 अप्रैल, 2024 से लागू होगी । 

प्रमुख बिंदु

  • गृह मंत्रालय ने नागालैंड के दीमापुर, न्यूलैंड, चुमौकेदिमा, मोन, किफिरे, नोकलाक, फेक और पेरेन जिलों में अफ्सपा (एएफएसपीए) को अगले छह महीने के लिए बढ़ाने की अधिसूचना जारी किया।
  • इसके अलावा, नागालैंड के पांच जिलों में 21 पुलिस स्टेशनों के अधिकार क्षेत्र में आने वाले क्षेत्रों में भी अफस्पा बढ़ा दिया गया है। 
  • ये इलाके हैं जुन्हेबोटो और मोकोकचुंग जिलों में प्रत्येक में छह पुलिस स्टेशन; कोहिमा में पांच पुलिस स्टेशन; वोखा में तीन पुलिस स्टेशन; और लोंगलेंग जिले में यांगलोक पुलिस स्टेशन ।
  • उक्त पुलिस स्टेशनों को 1 अप्रैल, 2023 से छह महीने की अवधि के लिए सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम, 1958 की धारा 3 के तहत 'अशांत क्षेत्र' घोषित किया गया है।
  • केंद्र ने नागालैंड राज्य में कानून और व्यवस्था की स्थिति की आगे की समीक्षा के बाद यह कदम उठाया।
  • इसके अलावा अरुणाचल की बात की जाए तो राज्य के अग्रलिखित जिलों ; तिरप, चांगलांग और लोंगडिंग को उन तीन जिलों में शामिल किया गया है जहां एएफएसपीए को अगले छह महीनों के लिए बढ़ा दिया गया है। 
  • वहीं असम राज्य की सीमा से लगे अरुणाचल प्रदेश के नामसाई जिले में नामसाई, महादेवपुर और चौखम पुलिस स्टेशनों के अधिकार क्षेत्र में आने वाले क्षेत्रों को धारा 3 के तहत 'अशांत क्षेत्र' घोषित किया गया है। 

अफस्पा के बारे में 

  • एएफएसपीए सुरक्षा बलों को किसी व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार करने, बिना वारंट के परिसर में प्रवेश करने या तलाशी लेने के साथ-साथ कुछ अन्य कार्रवाई करने का अधिकार देता है।

अफस्पा विवादित क्यों है?

  • मानवाधिकारों के उल्लंघन की समस्या
  • यह कानून सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिये (यदि आवश्यक हो) सुरक्षाकर्मियों को बल का उपयोग करने और मृत्यु होने तक गोली मारने का अधिकार प्रदान करता है। 
  • यह सैनिकों को बिना वारंट के परिसर में प्रवेश करने, तलाशी लेने और गिरफ्तारी करने की कार्यकारी शक्तियाँ भी देता है।
  • सशस्त्र बलों द्वारा इन असाधारण शक्तियों के प्रयोग से अशांत क्षेत्रों में सुरक्षा बलों पर फर्जी मुठभेड़ों और अन्य मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोप लगे हैं। 
  • वहीं नगालैंड एवं जम्मू-कश्मीर जैसे कुछ राज्यों में AFSPA के अनिश्चितकालीन लागू होने पर भी प्रश्नचिन्ह लगाया गया है।

सम्बन्धित समिति

  • नवंबर 2004 में केंद्र सरकार ने पूर्वोत्तर राज्यों में अधिनियम के प्रावधानों की समीक्षा के लिये न्यायमूर्ति बी पी जीवन रेड्डी की अध्यक्षता में पाँच सदस्यीय समिति गठित की।

समिति की सिफारिशें

  • AFSPA को निरस्त किया जाना चाहिये और गैर-कानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, 1967 में उचित प्रावधान शामिल किये जाने चाहिये।
  • सशस्त्र बलों और अर्द्धसैनिक बलों की शक्तियों को स्पष्ट रूप से निर्दिष्ट करने हेतु गैरकानूनी गतिविधि अधिनियम को संशोधित किया जाना चाहिये तथा प्रत्येक ज़िले में जहांँ सशस्त्र बल तैनात हैं, शिकायत प्रकोष्ठ स्थापित किये जाने चाहिये।

सर्वोच्च न्यायालय का स्टैंड

  • वर्ष 1998 में सर्वोच्च न्यायालय ने अपने एक निर्णय नगा पीपुल्स मूवमेंट ऑफ ह्यूमन राइट्स बनाम यूनियन ऑफ इंडिया वाद में AFSPA की संवैधानिकता को बरकरार रखा है।
  • इस निर्णय के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा स्व-प्रेरणा से इस अधिनियम को लागू करने की घोषणा की जा सकती है, हालांकि यह वांछनीय है कि घोषणा करने से पहले राज्य सरकार को केंद्र सरकार से परामर्श लेना चाहिये।
  • घोषणा एक सीमित अवधि के लिये होनी चाहिये और घोषणा की समय-समय पर समीक्षा की जानी चाहिए । 
  • AFSPA द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते समय प्राधिकृत अधिकारी को प्रभावी कार्रवाई हेतु आवश्यक न्यूनतम बल का प्रयोग करना चाहिये।

क्या किया जाना चाहिए ?  

  • सरकार द्वारा प्रभावित लोगों को संबोधित करने और उन्हें अनुकूल कार्रवाई के लिये आश्वस्त किया जाना चाहिए। 
  • पूरे राज्य में इस अधिनियम को लागू करने के स्थान पर केवल कुछ संवेदनशील ज़िलों तक सीमित करना चाहिये।
  • सरकार और सुरक्षा बलों को सर्वोच्च न्यायालय, जीवन रेड्डी आयोग और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों का भी पालन करना चाहिये।

परीक्षापयोगी तथ्य

नागालैंड

  • राजधानी: कोहिमा (कार्यकारी शाखा) 
  • मुख्यमंत्री: नेफ्यू रियो 
  • आधिकारिक पशु: गायल 
  • आधिकारिक फूल: रोडोडेंड्रोन आर्बोरियम 
  • आधिकारिक पक्षी: ब्लिथ ट्रैगोपैन

अरुणाचल प्रदेश 

  • मुख्यमंत्री:पेमा खांडू
  • राजयपाल:कैवल्य त्रिविक्रम परनायक 
  • राजधानी: ईटानगर

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